‘कामिनी’ नाम के अनुरूप सौन्दर्य की प्रतिमूर्ति नायिका है इस उपन्यास की। जिस पर हर मनचला भौंरा मंडराने की चाहत का शिकार होता है। पर कामिनी का शौक हैं-गुदाज़ जिस्म वाली नौखेज़ कलियां।
‘कामिनी’ का असली रूप है मुल्क परस्ती और वफ़ादारी। देश के दुश्मनों के खात्मे के लिए वह धधकते आग के शोलों, तड़तड़ाती गोलियों और विस्फोटकों से भी गुज़रने का माद्दा रखती है।
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