जब भावनाओ का मिलन शब्दों से होता है तब कविता का सृजन होता है| इश्क़ ज़रा सा - ग़म और ज़ज़्बात को लय में पिरोता कविताओं का एक अदभुत संगम है| कविताओ में प्यार की धुप भरकर ज़िंदगी के रूह तक पहुंचने की यह एक ईमानदार कोशिश है|
"जब पहली नज़र उसको देखा, तो मैं खुशबू सा महक उठा ,
शरद ऋतू में धुप खिली हो , मैं चिड़ियों सा चहक उठा ,
वो जब तक मेरे साथ रही , ये सारा ज़माना साथ रहा ,
दरिया थी गहरी वो मगर , मुझे डूबने का एहसास रहा ,
उसकी गहरी आँखों में, अब डूबता और उबरता हूँ ,
एक पल में मैं हँस देता हूँ ,एक पल में खुद में मरता हूँ
हर सांस में है एहसास तेरा, खुद को खो कर तुझे पाता हूँ,
यादों की एक पहर में, चारो पहर घूम कर आता हूँ"