लम्हें ( वक्त के पन्नों पर ) कविताओं की एक नई श्रृंखला है, जो अपने साथ एक नई परंम्परा के शुरुआत की नीब डालने जा रही है | यह बुनियाद इतनी मजबूत दिखाई दे रही है, जिसमें 'निराला' जी ने वह हर पल को दिखाने की कोशिश की है, जिसे हर मनुज अपने अंदर महसुस करता है और उस पल को जीना चाहता है | हर एक कविता अंदर से आती हुई आवाज सुनाई देती है | इसमें वह हर पल का ध्यान रखा गया है जिसे समय ने अपने अंदर कहीं गुम कर दिया या उससे अपने अंदर समेट नहीं पाया | बचपन, प्रेम, त्याग, तन्हाई की बातें, मार्ग दिखाते हुए उज्जाले, कुछ भूली हुई यादें, चाँद से अपने प्यार का इजहार तो कभी चाँद को पकड़ कर बच्चों के साथ खेलना, तो कभी वह बच्ची भी दिखाई देगी जो कोख की दीवार को पकड़े रहती है |
इसमें इतने पल कैद है जिसे शब्दों में नहीं लिखा जा सकता |