सच तो यह है कि मैं दरअसल कोई पक्का शायर तो कतई नहीं हूँ लेकिन फिर भी कभी शायरी करने का जुनून चढ़ा था तो लिखी थीं यह गजलें। आप यकीनन इन्हें एंजाय कर सकते हैं बशर्ते कि इन्हें किसी शायर से तुलना किये बगैर पढ़ें।
उनका मेरा कोई जोड़ नहीं.. वे सिर्फ शायरी पर फोकस करते हैं और मैं ढेरों चीजें लिखता हूँ तो बराबरी की कोई उम्मीद भी नहीं। हल्के फुल्के मूड में पढ़ेंगे तो यकीनन बहुत अच्छी लगेंगी।