[काफिर जिसने फारस को रौंद दिया]
अफगानिस्तान का एक शहर, निशापुर; हिन्दू सभ्यता से जुड़ा ये प्राचीन शहर फारस के शाह के साम्राज्य का एक हिस्सा था। यह शहर उस समय का शायद अफगानिस्तान का सबसे बड़ा शहर रहा होगा। निशापुर मैं तब लगभग 20 लाख से भी अधिक लोग रहा करते थे। मंगोल जैसे ही इस शहर पर टूट पड़े, काफी बड़ा नरसंहार निशापुर मैं करते हुये लगभग 17 लाख लोगों को इस शहर मैं मौत के घांट उतारा गया। निशापुर की औरतों को हरण कर लिया गया और विरोध करने वाले हर पुरुष को मारा गय"सबसे बड़ी खुशी अपने दुश्मन को तितर-बितर कर भगाना, उसके शहरों को राख में तब्दील होते देखना, उससे प्यार करने वालों को आंसुओं में डूबे हुए देखना, और उसकी पत्नियों और बेटियों को अपनी गोद में इकट्ठा करना है।" - चंगेज़ खान
[मंगोलिया का एकीकरण]
तैदजुट कबीले की सेना और चंगेज़ खान की सेना आमने सामने खड़ी थी। दोनों सेनाओं बीच मैं एक घाटी थी, चंगेज़ खान के दुश्मन संख्यान मैं उससे काफी ज्यादा थे पर जैसे ही वो घाटी पार करने लगे, चंगेज़ खान ने अपनी योजना के अनुसार हमला बोल दिया। चंगेज़ खान के अधिकतर योद्धा इस हमले मे शामिल थे, युद्ध के शुरवात में ही इतने जबरदस्त प्रहार से तैदजुट कबीले की सेना भौचक्की रह गयी, उनका संरक्षण घेरा टूट चुका था। तैदजुट सेना संभल पाती इससे पहले चंगेज़ खान की दूसरी पंक्ति के तीरंदाजों ने तीरो की बौछार शुरू कर दी। दुश्मनों की सेना ने ऐसा हमला कभी भी कल्पित नहीं किया था।
ा।