कहाँ हम तुम को याद करते हैं
दिल की है दिल से बात करते हैं
कोई आवाज सी कभी आती है
छू के इस दिल को चली जाती है
खुद को हम फिर से मना लेते हैं
अपने नगमों को सुला देते हैं
बीती बातों को लिखा करते हैं
रोज तारों को गिना करते हैं
कहाँ हम तुम को याद करते हैं
दिल की है दिल से बात करते हैं
कोई बदली सी कभी आती है
यूं ही सूखी सी चली जाती है
बूँदें हम खुद ही गिरा देते हैं
सूखी धरती को पिला देते हैं
हम तो आबाद किया करते हैं
इन्हीं बूँदों में जिया करते हैं
कहाँ हम तुम को याद करते हैं
दिल की है दिल से बात करते हैं
कोई पुरवाई सी कभी आती है
बिना खुशबू ही चली जाती है
थोड़े फूल हम ही गिरा देते हैं
बाग में खुश्बू मिला देते हैं
बातें चिडियों की सुना करते हैं
रोती शबनम को चुना करते हैं
कहाँ हम तुम को याद करते हैं
दिल की है दिल से बात करते हैं