'क्रांतिकारी' महज़ एक किताब नहीं, बल्कि इतिहास है। इतिहास देश के ऐसे क्रांतिकारियों का, जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में भले ही तमाम मुश्किलें उठायी हों, पर समाज और राष्ट्र को सबसे ज्यादा अहमियत दी। ख़ुद की कभी चिंता नहीं की, पर देश की चिंता करते रहे और आम लोगों के लिए जीने का नया रास्ता तलाशते रहे। ऐसे क्रांतिकारियों ने देश के हज़ारों और लाखों लोगों की बुनियादी सुविधाओं के लिए लगातार लड़ाई लड़ी। लड़ाई लड़ने का मतलब है संघर्ष, त्याग। यह तय है कि बदलाव के लिए संघर्ष तो करना पड़ेगा। जूझे, लड़े, गिरे और आगे बढ़े बिना बदलाव का सपना नहीं देखा जा सकता है। असल में बदलाव एक ऐसा सकारात्मक तथ्य है, जो आमतौर पर सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से मज़बूत बनाता है। जब सामाजिक और आर्थिक रूप से मज़बूती मिलती है, तो मानना चाहिए कि राष्ट्र की तरक्की होगी।
इस किताब में जिन क्रांतिकारियों का इतिहास लिखा गया है, जिन क्रांतिकारियों के उतार-चढ़ाव से पाठकों को रू-ब-रू कराया गया है, वे हर तरह से राष्ट्र को मज़बूती प्रदान करने की कोशिश करते हैं। इसमें कई ऐसे लोगों को पाठकों के समक्ष रखा गया है, जो आमतौर पर बहुत ज्यादा चर्चित नहीं रहे हैं, पर उनके काम से हज़ारों लोगों के घरों में रोशनी आयी है।
'क्रांतिकारी' एक किताब तक सीमित नहीं रह जाएगी। यह किताबों की एक कड़ी होगी और इस कड़ी में जितनी भी किताबें आएँगी, उनमें आधुनिक भारत के क्रांतिकारियों की कहानियाँ होंगी। कहानियाँ ऐसे क्रांतिकारियों की, जिन्होंने अपने संघर्ष से, मेहनत से, सूझ-बूझ से देश में सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक क्रांति लायी है और इस क्रांति की वजह से जीवन बेहतर हुआ है।