कुछ बातें देखी जाती हैं पर न समझी जाती हैं, न महसूस की जाती हैं । शब्दों का एहसास से रिश्ता हमेशा का है पर बुद्धि की अटकलें इस एहसास को दाँव-पेंच सिखा देती हैं । इन कविताओं में मेरी यही कोशिश है कि हम अंधेरों से हटकर उजालों की तरफ जायें, जिंदगी और रिश्तों की खूबसूरती को महसूस करें । विश्लेषण करें तो बेहतरी केलिये । हम खुश रहने केलिये जन्मे हैं, स्नेह और प्यार केलिये जन्मे हैं, प्रकृति और प्रकाश केलिये बने हैं । बस, यह कविता ही है जो सोच को लुढ़कने से बचाती है और ऊँचाइयों की ओर ले जाती है !
'मझ्झिम निकाय' या मध्यम मार्ग । चुनती हूँ जीवन जीने केलिये मझ्झिम निकाय ।