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मोक्ष किसे कहते हैं? खुद के शुद्धात्मा पद को प्राप्त करना | जो कुदरती रूप से स्वाभाविक हैं, जो सहज हैं| क्योंकि कि कर्मबंधन और अज्ञानता के कारण हमें अपने शुद्ध स्वरुप का ज्ञान नहीं हैं जो स्वाभाव से ही सहज हैं, शुद्धात्मा हैं | तो सहजता किस प्रकार प्राप्त करनी चाहिए ? ज्ञानीपुरुष के पास उसका उपाय हैं और ऐसे महान ज्ञानीपुरुष, दादाश्री ने हमें सहजता प्राप्त करने की चाबियाँ दी हैं | उन्होंने हमें अपने शुद्ध स्वरुप का परिचय कराया(आत्मज्ञान दिया) | मूल आत्मा तो सहज ही हैं, शुद्ध ही हैं | लोग इमोशनल (असहज) हो जाते हैं, क्योंकि उनके विचार, वाणी और वर्तन (मन-वचन-काया) के साथ तन्मयाकार हो जाते हैं | उसे अलग रखने से और उसका ज्ञाता-द्रष्टा रहने से आप सहजता प्राप्त कर सकेंगे | एक बार ज्ञान प्राप्त करने (ज्ञानविधि द्वारा) के बाद खुद का शुद्धात्मा (जो सहज हैं और रहेंगा) जागृत हो जाता हैं फिर, मन-बुद्धि-अहंकार शरीर की सहज स्थिती प्राप्त करने के लिए दादाश्री ने पाँच आज्ञाएँ दी हैं | प्रस्तुत संकलन में दादाश्रीने सहजता का अर्थ, सहज स्थिति में विक्षेप के कारणों, हम ज्ञाता-द्रष्टा रहकर सहजता किस प्रकार प्राप्त करें इन सभी का संपूर्ण विज्ञान दिया हैं | इस पुस्तक का पठन हमें अवश्य ही सहज स्वरुप बनाएगा और शांतिपूर्ण जीवन के तरफ ले जाएगा |

Formats

  • OverDrive Read
  • EPUB ebook

Languages

  • Hindi

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