सुनी हुई एक घटना पर आधारित यह कथा मैं आप लोगों के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ । इसकी वास्तविकता या सत्यता या प्रामाणिकता पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा । आप लोग इसे रहस्य कथा के रूप में पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां और सुझाव मुझे भेजें ताकि मैं और बेहतर लिख सकूं ।
मैं अर्थात अघोरानंद एक युवा गृहस्थ, जो कि अपने गुरु के सानिध्य में अघोर साधनाओ में संलग्न हुआ | जिसके बाद में गुरु के आदेश से वापस गृहस्थ जीवन में आ गया | तंत्र साधनाओं का क्षेत्र बहुत जटिल होता है और दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए जो काले तंत्र का प्रयोग होता है वह थोड़ा आसान भी होता है और सरलता से हो भी जाता है ।
यह प्रकृति का नियम है कि निर्माण हमेशा समय लेता है और विध्वंस बड़ी आसानी से हो जाता है ।
गृहस्थ जीवन में आने के बाद कई लोग मुझे मिले | जिनको अलग अलग प्रकार की समस्याएं थी और वे उस से जूझ रहे थे । ऐसी समस्याएं जिनका हल सामान्य प्रक्रियाओं से नहीं निकल पा रहा था |
स्पष्ट शब्दों में कहें तो ऐसी समस्याएं जो आम आदमी की समझ से परे थी और विभिन्न प्रकार की तंत्र क्रियाओं के द्वारा या तो उनके शत्रुओं के द्वारा या परिवार के सदस्यों के द्वारा उनके उपर की गयी थी |
ऐसी ही एक समस्या पर आधारित है यह कथा.....