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Title details for Katha Nawada— Selected Short Stories) (कथा नवादा – कहानी-संकलन) by Gopal Prasad Nirdosh - Available

Katha Nawada— Selected Short Stories) (कथा नवादा – कहानी-संकलन)

ebook

राष्ट्रीय परिदृश्य पर बिहार के अपने जिला नवादा के हिन्दी कथा-साहित्य के प्रति विशेष ध्यानाकर्षण कराने की दृष्टि से मैंने कुछ स्थापित एवं नवोदित कहानी-लेखकों की कहानियों को प्रस्तुत 'कथा नवादा' में संकलित करने की विनम्र कोशिश की है।
संकलन में शामिल कथाकारों में जयनंदन एक सुपरिचित और वरिष्ठ कथाकार हैं। उपन्यास के लिए भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा सर्वश्रेष्ठ चयन के आधार पर युवा लेखन पुरस्कार, आनंद सागर स्मृति कथाक्रम सम्मान, विजय वर्मा कथा सम्मान, स्वदेश स्मृति सम्मान, बनारसी प्रसाद भोजपुरी कथा सम्मान, झारखंड साहित्य सेवी सम्मान, बिहार साहित्य सेवी सम्मान आदि से विभूषित जयनंदन के 1981 से लेकर अब तक कुल सोलह कथा-संग्रह, तीन निबंध संग्रह, तीन नाटक संग्रह एवं सात उपन्यास प्रकाशित हैं। इस संग्रह में इनकी तीन चर्चित कहानियाँ 'ठेंगा', 'बेलाग ठूँठ' एवं 'कवच' संकलित हैं। इन कहानियों में मगह के ग्रामीण जीवन की धड़कनों को सुना जा सकता है।
युवा कथा लेखक सावन कुमार की तीन कहानियाँ - 'गन-तंत्र', 'मरजाद' एवं 'मरनपंखी' शामिल की गयी हैं। इनकी एक कहानी 'मरजाद' राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका 'विश्वगाथा' के जनवरी-मार्च 2019 के अंक में प्रकाशित है तथा इसका मगही रूपांतरण मगध विश्वविद्यालय के मगही विभाग के पाठ्यक्रम में संकलित है। इनकी 'मरनपंखी' कहानी हिन्दी अकादमी, दिल्ली की पत्रिका 'इन्द्रप्रस्थ भारती' के जनवरी 2019 अंक में प्रकाशित है।
अरुण वर्मा की कहानी 'ठोंगा' मेरे ही द्वारा संपादित हिन्दी त्रैमासिक पत्रिका 'मेरी अभिव्यक्ति' में 2009 के चौथे अंक में प्रकाशित हो चुकी है। अरुण ने एक कथाकार के तौर पर एक बड़ी संभावना जगायी है।
इस संग्रह में शामिल मेरी कहानी 'बाबूजी की शादी' मेरे ही द्वारा संपादित 'मेरी अभिव्यक्ति' के चौथे अंक में तथा राष्ट्रीय स्तर की हिन्दी त्रैमासिक पत्रिका 'सृजन सरोकार' के अक्टूबर-दिसंबर 2018 अंक में प्रकाशित हो चुकी है। इस कहानी का मगही रूपांतरण 'बाऊजी के बियाह' के रूप में मगध विश्वविद्यालय के मगही विभाग के पाठ्यक्रम में संकलित है। मेरी दूसरी कहानी 'वो बुढ़िया' हिन्दी अकादमी, दिल्ली से प्रकाशित हिन्दी मासिक 'इन्द्रप्रस्थ भारती' के अप्रैल 2018 अंक में प्रकाशित हो चुकी है। इस कहानी को कोल्लूरि सोम शंकर जी ने तेलुगू में अनूदित कर 'वेब जैन' पत्रिका में भी प्रकाशित कराया है। मेरी तीसरी कहानी 'बुरे दिन' दिल्ली से निकलने वाली हिन्दी त्रैमासिक 'सृजन सरोकार' के जनवरी-मार्च 2018 अंक में प्रकाशित हो चुकी है।
इसके साथ ही, इस संकलन में नवादा के जाने-माने साहित्यकार मिथिलेश जी, डॉ. लक्ष्मण प्रसाद, वीणा मिश्रा, कृष्ण कुमार भट्टा, राजेश मंझवेकर एवं रुचि वर्मा जी की उपस्थिति हमारे मकसद को एक नयी ऊँचाई देती है।
– डॉ. गोपाल प्रसाद 'निर्दोष'

'कथा नवादा'–इस नाम में एक विशिष्ट आकर्षण है जो एक साथ कई जिज्ञासाओं को जन्म देता है। मुझे साहित्यकार व संपादक डॉ. गोपाल प्रसाद ''निर्दोष' से यह जानकर अतीव प्रसन्नता हुई कि इन्होंने इस कहानी-संकलन में जिला नवादा के नवोदित एवं स्थापित दोनों ही तरह के चुनींदा कथाकारों को एक मंच प्रदान किया है।
सम्मानित साहित्यकार मिथिलेश, जयनंदन, डॉ. लक्ष्मण प्रसाद, डॉ. गोपाल प्रसाद 'निर्दोष' एवं वीणा मिश्रा जैसे सिद्धस्थ कहानीकारों ने जहाँ अपनी कई पुस्तकों से हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने में अपना महत्तर योगदान दिया है, वहीं सावन कुमार, कृष्ण कुमार भट्टा, राजेश मंझवेकर, अरुण वर्मा एवं रुचि वर्मा जैसे कलमकारों ने अनवरत अपनी कलम चलाकर हिन्दी साहित्य के संवर्द्धन में उल्लेखनीय भूमिका निभायी है।
'कथा नवादा' में रचनात्मक योगदान देनेवाले सभी कहानीकारों के प्रति शुभकामनाएँ व्यक्त करते हुए मैं यह अपेक्षा करती हूँ कि उनकी कहानियाँ हिन्दी साहित्य के सुधी पाठकों के मानस-पटल पर उल्लेखनीय प्रभाव छोड़ेंगी तथा जनकल्याणार्थ कार्य करती हुई भावी पीढ़ी का मार्ग प्रशस्त करेंगी।
अत्यंत ऊर्जावान कवि, कथाकार एवं आलोचक डॉ. गोपाल प्रसाद 'निर्दोष' ने अत्यल्प समय में ही 'जयनंदन : व्यक्तित्व एवं कृतित्व' तथा 'नाइंसाफियों से मुठभेड़ के कलमकार' जैसी उल्लेखनीय पुस्तकों का प्रणयन करने के उपरांत अपनी इस तीसरी पुस्तक 'कथा नवादा' के द्वारा हिन्दी साहित्य को जो विशिष्टतम देने का कार्य किया है, वह अत्यंत प्रशंसनीय है। इनके इस महत्त्वपूर्ण योगदान से न केवल...

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