'अष्टावक्र गीता' भारतीय अध्यात्म साहित्य की अनमोल निधि है। इसका महत्त्व भगवद्गीता से कम नहीं ।
मिथिला नरेश और शरीर से अत्यन्त कुरूप मुनि 'अष्टावक्र' के आपसी संवाद अध्यात्म-साहित्य की ऐसी धरोहर हैं, जिस पर गर्व किया जा सकता है ।
संस्कृत साहित्य के इसी अनुपम ग्रंथ का मूल संस्कृत से सरल भावानुवाद अविकल रूप से प्रकाशित है।