ललित ललित आज व्यंग्य की दुनिया में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। बहुत ही कम समय में अपनी धाक जमा लेने वाले गिने-चुने लोगों में वे शामिल हैं। 'जिंदगी तेरे नाम डार्लिंग' इनका पहला व्यंग्य संग्रह था,जो वर्ष 2015 में प्रकाशित हुआ था। और इसके बाद तो एक पर एक धमाके। इतने कम समय में ललित जी के अब तक सत्रह व्यंग्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, बाकी विधाओं की तो बात ही छोड़ दीजिए। कहने का तात्पर्य यह है कि व्यंग्य जगत में लालित्य ललित ने जोरदार उपस्थिति दर्ज कर हलचल पैदा कर दी है। ललित जी के व्यंग्य से पाठक इसलिए भी अपने आपको जुड़ा महसूस करता है कि इनके व्यंग्य आलेखों में जीवन की कई अनुभूतिपरक स्थितियां पाई जाती हैं। इनमें आसपास-परिवेश का अनुकूलन होता है जो सामान्य पाठक के जीवन से जुड़कर एकरस हो जाता है। और जीवन की अनेक छवियों के साथ-साथ बिंब, प्रतीक, विट, ह्यूमर तो होते ही हैं।.
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